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________________ व्यक्तित्व तथा प्रभाव ] ―― प्रमृतचन्द्र का श्राचार्य - मुनिवर्ग पर प्रभाव देवसेनाचार्य पर प्रभाव ( ८६३-६४३ ईस्वी) आचार्य देवसेन अमृतचन्द्र के कुछ बाद ही हुए हैं। उनका समय जैनेन्द्र सिद्धांत कोशकार ने ८६३ से ६४२ ईस्वी के बीच लिखा है। आप प्रसिद्ध आचार्यों में गिने जाते हैं । आप घबलाटीकाकार आचार्य वीरसेन के शिष्य थे। आप श्रो विमलगणी के शिष्य तथा अमितगति प्रथम के पुत्र थे। आपकी रचनाओं में दर्शनसार भावसंग्रह, आराधनासार, तत्त्वसार, ज्ञानसार, नयचक्र ( प्राकृत में ), आलापपद्धति (संस्कृत में ) तथा धर्म संग्रह ( संस्कृत- प्राकृत में) मुख्य हैं । उक्त आचार्य देवसेन पर आचार्य अमृतचन्द्र का प्रभाव स्पष्ट परिलक्षित होता है । इसके कुछ आधार निम्नानुसार हैं 13 [ १६७ १. जिसतरह आचार्य श्रमृतचन्द्र के पुरुषार्थसिद्ध्युपाय" ग्रन्थ का अपरनाम " जिनप्रवचन रहस्यकोश" है, उसी प्रकार आचार्य देवसेन की "आलापपद्धति” नामक कृति का भी अपरनाम “द्रव्यातुयोगप्रवेशिका" है जो एक प्रकार से ग्रन्थ के दो नामों के प्रचलन का अनुकरण है जो देवसेन में प्राचार्य अमृतचन्द्र की कृतियों से किया है । २. आचार्य देवसेन अमृतचन्द्र की कृतियों से परिचित थे। क्योंकि आलापद्धति में निश्चयनय और व्यवहारनय के भेद-प्रभेदों का जो कथन है, वह श्रमृतचन्द्राचार्य द्वारा समयसार की टीका "आत्मख्याति" में प्रतिपादित तत्त्वव्यवस्था के आधार पर रचा गया प्रतीत होता है। उससे पहले किसी भी ग्रन्थ में उन भेद-प्रभेदों का कथन नहीं है । जिनमें उक्त कथन है, वे ग्रन्थ प्रायः आलापपद्धति के पश्चात् के हैं । ३ ३. अमृतचन्द्र ने अपने ग्रन्थ पुरुषार्थद्धियुपाय में "अहिंसा" तथा हिंसा के विशद विवेचन के अन्तर्गत दो प्रत्यन्त महत्त्वपूर्ण श्लोक लिखे हैं, जिनमें कहा है कि अत्यन्त कठिनता से पार हो सकने वाले, अनेक प्रकार के भंगों (भेदों) से युक्त गह्न वन में मार्ग भूले हुए पुरुष को, अनेक प्रकार के नयसमूह के ज्ञाता श्रीगुरु ही शरण होते हैं। जिनेन्द्र भगवान का अतितीक्ष्ण धारवाला और दुःसाध्य नयचक्र धारण करने वाले मिथ्या १. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश भाग-१, पृष्ठ ३३७ २. जैनेन्द्र सिद्धांत कोश भाग-२, पृष्ठ ४४६ ३. जैन साहित्य का इतिहास भाग - २, पृष्ठ १०२-१०३
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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