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[ आचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
यथासमय आगे की गई है। इस तरह आचार्य अमृतचन्द्र का एक पहलू अध्यात्म रसिक का भी है।
प्राचार्य अमृत चन्द्र का प्रभाव
आचार्य अमृतचन्द्र के विशाल व्यक्तित्व का प्रभाव उनके परवर्ती प्राचार्यों, मुनियों, भट्टारकों तथा अनेकानेक विद्वानों पर पड़ा। उनके सर्वतोमुखी व्यक्तित्व से प्रभावित लेखकों ने अपनी कृतियों में अमृतचन्द्र का अनुकरण किया। कुछ ने उनके सिद्धांतज्ञान का अनुकरण किया, कुछ ने उन्हें प्रमाणरूपेण प्रस्तुत किया, कुछ उनकी अध्यात्म रसिकता से आकर्षित हुए, कुछ उनके वाङमय में निहित साहित्यिक वैशिष्टयों को अपनाने लगे, अनेकों ने उनकी जली में साहित्य सृजन किया, अनेक विद्वानों ने उनकी भूरि-भूरि प्रशंसा को और कई उनके द्वारा बितरोत परमानंदरूप अध्यात्म गुणाम के बने . काम की, परम्परा काल-व्यापी, क्षेत्र-व्यापी तथा जनमानस-व्यापी रही । कालापेक्षा उनका प्रभाव अद्यावधि वर्तमान है, जो लगभग एक हजार वर्ष से निरन्तर आत्महितैषियों को अनुप्राणित एवं प्रभावित करता आ रहा है। क्षेत्रापेक्षा समग्न भारतवर्ष का कोना-कोना उनकी कृतियों से प्रेरणा पाता रहा है । इतना ही नहीं, उनके प्रभाव में कुछ विदेशी विद्वान भी आये, जिन्होंने आचार्य अमतचन्द्र की कृतियों का अध्ययन, मनन, सम्पादन, भाषान्तरण, प्रकाशन एवं प्रचार-प्रसार किया है । इस दृष्टि से अमेरिका, जर्मनी, इंग्लैंड, अफ्रिका आदि के विद्वानों के नाम उल्लेख्य हैं, जिनका विस्तृत परिचय आगे कराया गया है। आध्यात्मिक जगत् के जनमानसों के बे हृदयहार रहे हैं। उनकी कृतियाँ अमृतरस के जलाशय को भांति कषायसंतप्तजनों को अलौकिक शांति-शीतलता एवं सुखप्रदायिनी हैं । बे साहित्य रसिकों के लिए चमत्कारी, विद्वानों के लिए मनांहारो तथा प्रात्मकल्याणेच्छक जनों को संजीवनी समान समान लाभकारी हैं। आचार्य अमृतचन्द्र के व्यक्तित्व तथा कृतियों का व्यापक प्रभाव - उनकी रचनाओं के अनेक भाषा में प्रकाशन, अनेक संस्करण तथा लाखोंकरोड़ों की संख्या में मुद्रण से प्रमाणित होता है। उनकी इस प्रभाव परम्परा को तीन श्रेणियों में विभाजित कर प्रस्तुत किया जा रहा है। वे श्रेणियां हैं आचार्य व मुनिवर्ग, भट्टारकवर्ग तथा विद्वत्समाज ।