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________________ व्यक्तित्व तथा प्रभाव । [ १२६ एक बृहद् सामासिक पद है जो अनेक गद्यवैशिष्ट्यों से परिपूर्ण अमृतचन्द्र को असाधारण प्रतिभा का द्योतक है। 5. अनेक प्रश्नों के उत्तर मित करने की ममता-व्याख्याकार के रूप में एक ही गाथा की टीका में अनेक प्रश्नों के उत्तर गभिनकर अभिव्यक्त करने की उनमें प्रपूर्व-असाधारण क्षमता है । उदाहरणार्थ - समयसार में एक गाथा की टीका में ११ प्रश्नों के उत्तर गभित किये गये हैं ।' अन्यत्र ७ प्रश्नों के उत्तर एक गाथा के भाष्य में व्यक्त किये हैं.। वे ११ प्रश्न क्रमशः इस प्रकार हैं - ग्रह या भूत कौन है ? रोग क्या है ?, रोग का फल क्या है ?, संसारी कैसे हैं ?, संसार में कैसे आचार्य सुलभ हैं ?, आत्मा स्पष्ट भिन्न कब दिखता है ?, आत्मा का शुद्धस्वरूप अनुभव में न आने के कारण क्या हैं ?, अनन्तकाल से सुलभ क्या रहा है ?, दुर्लभ क्या रहा है ?, कामभोगबन्धन की कथा कसी है ?, अनभव का कारण क्या है ? इनके उत्तर क्रमश: इस प्रकार हैमहानमोह भूत है, तृष्णा रोग है, दाहरूप अन्तर पीड़ा रोग का फल है, बैल की तरह भार ढोने वाले संसारी हैं, विषय समूह में फंसाने का मार्ग बताने वाले प्राचार्य सुलभ हैं, जब भेदज्ञानज्योति का प्रकाश होता है, तोन कारण हैं – कषायचक्र, अनात्मज्ञता तथा प्रात्मज्ञजनों की संगति व सेवा न करना, काम-भोग-बन्धन की कथा उनकी रुचि तथा अनुभूति सुलभ रही है, प्रात्मा का एकत्व स्वरूपानुभव दुर्लभ रहा है, एकत्व विभक्त प्रात्मा की विरोधी तथा अत्यंत विसंवाद कराने वाली है, अनभव का कारण परिचय है - परिचय का कारण श्रवण है। इसी तरह वे एक ही तर्क द्वारा अनेक भ्रमों का निवारण भी करने में समर्थ हैं। गाथानों की स्पष्टता के लिए वे सूत्रतात्पर्य तथा सिद्धांत तात्पर्य ऐसे दो प्रकार से अभिप्राय को स्पष्ट सूचित करते हैं जो एक सफलतम व्याख्याता की विशेषता है - यथा "अलं विस्तरेण । स्वस्ति साक्षान्मोक्षमार्गसारत्वेन शास्त्रतात्पर्यभूताय बीतरामत्वायेति । द्विविधं किल तात्पर्यम् – सूत्रतात्पर्य शास्त्रतात्पर्यञ्चेति । तत्रसूत्रतात्पर्य प्रतिसूत्रमेव १. समयसार गाथा ४ की टीका । २. वहीं, गाथा ५ की टीका ।। ३. समयसार गाथा ५५ की टीका ।
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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