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________________ ११८ ] [ प्राचार्य अमृतचन्द्र : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व नाति, गच्छति चेति निरुकोः" अर्थात "समय शब्द का अर्थ है एकत्व रूप से साथ साथ जाने तथा गमन (परिणमन) करे ।' उक्त शब्द की व्याख्या का स्पष्टीकरण करते हुए पुनः लिखा है- "समयशब्देनात्र सामान्येन सर्वएवार्थोऽभिधीयते । समयते एकीभावेन स्त्रगुण पर्यायान गच्छतो ति निरुक्तेः। अर्थात् यहां “समय शब्द से सामान्यतया सभी पदार्थ कहे जाते हैं क्योंकि व्यत्पत्ति के अनुसार समयते अर्यात एकीभाव से अपने गुण पर्यायों को प्राप्त होकर जो परिणमन करे वह समय है । 'द्रव्य" शब्द की व्याख्या भी इसी शैली में की गई है। सरलार्य शली–उक्त "समय" शब्द का ही अन्य प्रकरण में सरलार्थ करते हुए समय 5., अ सा है. 4 .. "सायोति आगमः" । श्रमण पद का अर्थ महाश्रमण या सर्व-वीतरागदेव किया है यथा- "श्रमणा हि महाश्रमणा: सर्वच वीतरागा: ।५. आचार्य अमृतचन्द्र प्रत्येक शब्द का प्रकरणानुसार जहां जो अर्थ अभिप्रेत है. वह अर्थ करने में कुशल हैं। व्याख्याकार की सफलता भी इसी में है। एक स्थल पर "समय" शब्द का प्रयोग दर्शन या त के रूप में करते हुए सांख्यदर्शन को "सांस्यसमय" पद से अभिहित करते हैं। अन्यत्र समय पद का प्रयोग "काल" के पर्यायवाची अर्थ में भी करते हैं । यथा - "जानसमयेऽनादि शेयज्ञानभेदविज्ञानशून्यत्वात्" इस वाक्य में "ज्ञानसमये" पद का अर्थ "ज्ञान के काल में" अभिप्रेत है। इसी तरह एक स्थल पर "समय" शब्द का प्रयोग आत्मा के अर्थ में किया है यथा-"नमः समय सागय"८ पर्यात शुद्ध प्रात्मा को नमस्कार हो। इस तरह यथोचित यथार्थ शब्द प्रयोग को चातुरी उनके व्याख्याता पद को महत्त्वपूर्ण बनाती है। नयशैली -- नय शैली में द्रव्य के स्वरूप का मामिक, गम्भीर, दार्शनिक तथा सुस्पष्ट व्याख्यान करते हुए वे लिखते हैं कि वास्तव में सभी वस्तुओं का स्वरूप सामान्य विशेषात्मक होने से वस्तुस्वरूप दष्टाओं १. समयमार गाथा २ की टीका, पृष्ठ ६ २. वही, गाथा ३ की टीका, पृष्ठ ११ ३, पंचास्तिकाय गाथा ६ की टीका, पष्ठ २५ ४. पंचास्तिकाय गाभा २ की टीका । ५. वही, गाथा २ की टीका । ६. ममयमार माथा ३.४४ की प्रात्मख्याति टीका, पृष्ठ ४७१ ७. वहीं, गाथा ३४४ पृष्ठ ४७२। ८, प्रात्मख्याति, समयसारकलश प्रथम ।
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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