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________________ तत्व तथा प्रभाव ] [ ११५ पाचार्य अमृतचन्द्र – व्याख्याकार के रूप में १. प्रसाधारण तथा अद्वितीय विद्वान्-आचार्य अमृतचन्द्र के शक्तिव का एक पहल सफलतम व्याख्याकार का भी है। व्याख्याकार के में वे असाधारण तथा अद्वितीय विद्वान् थे। जिस प्रकार टीकाकार सनाथ, महाकवि कालिदास के ग्रन्थों के रहस्यज्ञ थे, उसी प्रकार मुतचन्द्र आचार्य कुन्दकुन्द के ग्रन्थों के मर्मज्ञ व्याख्याता थे।' जिस तरह चार्य विद्यानंदस्वामी न होते तो प्राचार्य अकलंक के ग्रन्धों का मर्म मझना कठिन होता, उसी तरह यदि आचार्य अमृतचन्द्र व्याख्याकार न से तो कुन्दकुन्द के सूत्रों का अर्थ समझना मुश्किल होता। उनका ध्यात्मविषयक टीका साहित्य प्रमेय की दृष्टि से उतना ही महत्वपूर्ण जितना मूल अध्यात्मसाहित्य । आचार्य कुन्दकुन्द ने तीर्थकरों के उपदेश को ग्रन्थों में गूथकर तीर्थकर-सर्वज्ञतुल्य कार्य किया तथा चार्य अमृतचन्द्र ने कुन्दकुन्द के हृदयगत रहस्य को गम्भीर टोकाओं यस उद्घाटित कर गणधर तुल्य कार्य किया। उनकी टीकाएँ अतरात्मपोति जगमगा देने वाली हैं। ग्रन्थकर्ता के मूलभावों एवं रहस्यों को कट करना, उन पर गम्भीर भाष्य की रचना करना महान दार्शनिक का ये है। "भाष्यकाल को अलंकृत करने वाले ऐसे दार्शनिकों की गणना सार के महान दार्शनिकों में की जाती है। अल्पाक्षररूप मूलसूत्रों में लिहित तथ्यों का विशदीकरण अपनी ताकिक बुद्धि से निष्पन्न कर एक हान साहित्य की सष्टि इन दार्शनिकों द्वारा हुई है। आचार्य अमृतचन्द्र ही ऐसे ही महान् टीका साहित्य के स्रस्टा हैं। उनकी समग्र टीकाएँ औद्धतम, दार्शनिक तथा पांडित्यपूर्ण शैलो में रचित हैं । वे संस्कृत वाङमय उत्कर्ष एवं प्रौदता की झलक को प्रस्तुत करती हैं। समयसार की आत्मख्याति कलश टीका ऐसी श्रेष्ठ रचना है जो भावार्य अमृतचन्द्र की प्रकाण्ड विद्वत्ता, बाग्मिता तथा अप्रतिम प्रांजलशेली सी परिचायक है, साथ ही उनकी कीर्ति को श्रेष्ठ व्याख्याता के रूप में तीर्थकर महावीर और उनकी प्राचार्य परम्परा, पृष्ठ ४०२ खण्ड द्वितीय । जैन साहित्य का इतिहास, भाग २, पृष्ठ १७२ . मात्मधर्म अंक २४८, दिसम्बर १६६५, पृष्ठ ४५३ (संत कानजी स्वामी का प्रवचन) . संस्कृत साहित्य का इकिहास डॉ. बलदेव उपाध्याय पुष्ठ ६५६
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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