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________________ व्यक्तित्व तथा प्रभाव । | ८५ के पीने से, भ्रमरस के भार के कारण, शुभाशुभ कर्म के भेदरूप उन्माद को नचाने वाले समस्तकों को अपने बल द्वारा ज्ञानज्योति समुल उलाड़ फेंकती है और अपने सामथ्र्य को प्रगट करती है । वह ज्ञानज्योति अधकार को निगल जाती है, लीलामात्र (क्षणभर) में विकसित हो जाती है और परमकलारूप केवलज्ञान के साथ कोड़ा करती है। चतुर्थ अंक के प्रारम्भ में आस्रव स्वांग धारण कर मदोन्मत्त योद्धा को भांति प्रवेश करता है। रंगभूमि का स्वरूप अब समरभूमि में परिणत हो जाता है। समरांगण में आये, महामद से भरे हुए मदोन्मत्त आसब को धनुर्धारी दुर्जय ज्ञानरूप नायक जीत लेता है। यह ज्ञानयोद्धा उदार गम्भीर तथा महान उदय वाला है । २ इस अंक में समभूमि तथा योद्धाओं के प्रदर्शन द्वारा नाटककार ने वीर रस की सष्टि की है। आगे पांचवें तथा छठवें अंक में संवर तथा निर्जरा रूप दो पात्र क्रमशः रंगमन्च पर आते है तथा अपना अपना स्वरूप प्रदर्शित कर चले जाते हैं। ज्ञाननायक उन दोनों के स्वरूप का यथावत् ज्ञाता मात्र बना रहता है। सांतवें अंक में "बन्ध" रूा स्वांग प्रवेश करता है जो राग के उदयरूप महारस-मदिरा के द्वारा समस्त जगत् को मतवाला करके, रमभाव से राम के मतवालेपन से नांचता है, उसे भी ज्ञाननायक हटा देता है तथा स्वयं उदय को प्राप्त होता है । ' पाठवें अंक में 'मोक्ष'" रूप स्वांग प्रवेश करता है ।" तथा बह भी अपना स्वरूप दिखाकर रंगमन्च से चला जाता है । इस प्रकार रंगभूमि पर जीव-अजीव कर्ता-कर्म, पुण्यापा, आस्रव, सबर, निर्जरा, बन्ध और मोक्ष ये आठ स्वांग पाये, उन्होंने अपने अपने ढंग से नृत्य किया, अपना स्वरूप प्रदर्शन किया SC १. भदोन्माद भमरा भरान्नाटयपीत मोहूं, मूलोन्मुलं ग कलमपि नाम कृत्वा चलेन । हेलो मीलत्पर मकन्नया साचं मारब्धकेन्नि, जान ज्योतिः कलिनतमः प्रोजजम्भे भरेगा ।। समयगार लश ११२ ।। २. अथ महामदनिर्भरमन्थर, मभररंगपरागतमास्रव । प्रयमुदारगंभीरमहोदयो, जति दुर्जयत्रोध वनुर्धरः ।। ११३ ।। ३. रागोद्गारमहार सेन सकलं कृत्वा प्रमहं जगत् ।। श्रीडन्तं रसभावनिर्भरमहानाट्येन बंधं धुनत्....जानं समुन्मति ।। १६३ ।। । ४. अय प्रवित्ति मोक्षः । पृष्ठ ४१२ ५. इति मोक्षो निष्क्रांतः । पृष्ट ४४०
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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