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________________ तृतीय अध्याय व्यक्तित्व तथा प्रभाव प्राचार्य अमृत चन्द्र का व्यक्तित्व (प्राचार्य अमृतचन्द्र असाधारण विद्वान तथा प्रतिभाशाली कवीन्द्र थे। वे अनेकांतस्वरूप चिदानंदामून के पान करने वाले, श्रेष्ठ एव लब्धप्रतिष्ठ भाष्यकार, मौलिक ग्रन्थ प्रणेता तथा जन सिद्धांतों के मर्मज्ञ विद्वान थे। वे सिद्धांतविशारद,' नानानयविशारद, यतीश, मुनीन्द्र, मुनिराज, अध्यात्म मार्तण्ड,' अंतर्मुखकबीन्द्र, विपक्ष विजेता, समस्त शिष्य वर्ग के पालक,निजात्म तत्त्ववेत्ता, स्वरूपगुप्त, व्याख्याता, आनंदामृतचन्द्र,११ कलिकालगणपर,१२ आदि पदों एवं विशेषणों से समलंकृत थे। उनका व्यक्तित्व सर्वतोमुखी तथा प्रभाव व्यापक था। उनके बहुमुखी व्यक्तित्व के अनेक पहलु उनकी कृतियों में प्रस्फुटित हुए हैं जिनमें प्रमुख हैं नाटककार, व्याख्याकार, तार्किक और नैयायिक, भाषाविद्, सिद्धान्तज्ञ, व्याकरणश, अध्यात्म रसिक मादि । यहां उनके सर्वतोमुखो व्यक्तित्व के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित किया जाता है।। १. कन्नड़ प्रान्तीय ताड़पत्रीय ग्रन्थ सूची, १०४८ पृष्ठ (प्रस्तावना) १५ २. तत्त्वार्थसार, टीकाकार निवेदनम्, पृष्ठ २१२ पं, पन्नालाल जी । ३. परमाध्यात्मतरंगिणी, प्रशस्ति पृष्ठ २३५, पद्म । ४. पुरुषार्थसिद्ध युपाय, पं. दौलतराम कृत प्रशस्ति पृष्ठ १०५ ५. सामसार नाटक माध्यमाधक द्वार, पं. बनारसीदास पद्य ५६ पृष्ठ ३६३ ६. पुरुषार्थ सिद्ध युपाय (पं. विद्याधरसेठी) ७. वही (मराठी पद्यानुवादक-अज्ञात) पृष्ठ १२ प्रस्तावना ८. परमाध्यारमतरंगिणी, मंगलाचरण पब २ ६. समयसार कलश २१८ १०. प्रवचनसार पद्य नं० २० ११. पुरुषार्थ सिद्ध युपाय (प० टोडरमल) मंगलाचरण पद्य १२. वही (मराठी पद्य अशात) मुखपृष्ठ
SR No.090002
Book TitleAcharya Amrutchandra Vyaktitva Evam Kartutva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUttamchand Jain
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year
Total Pages559
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Biography, & Literature
File Size9 MB
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