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प्रथम अधिकार एकादशानामङ्गानां पदानि ४१५०२००० । श्लोकाः २१२०२७३३५६१४९३००० । अक्षराणि ६७८४८१४७३९६७७७६००० ।
इदि एकादसांगानि गदानि-इत्येकादशाङ्गानि गतानि ।
पूर्व प्रमाण के समास ( मिलाकर ) सर्व ग्यारह अंगों के पदों का प्रमाण चार करोड़ पन्द्रह लाख दो हजार प्रमाण है ।। ७० ।।
सर्व ग्यारह अङ्गों के पदों का प्रमाण चार करोड़, पन्द्रह लाख, दो. हजार ( ४१५०२००० ) प्रमाण है।
इन ग्यारह अंगों के श्लोक संख्या इक्कीस शंख, बीस नोल, सत्ताइस खरब, तेतीस अरब, छप्पन करोड़, चौदह लाख, तिरानबे हजार ( २१, २०,२७,३३,५६,१४,९३००० ) प्रमाण है। इन ग्यारह अंग के सर्व अक्षरों का प्रमाण छह पद्म, अठहत्तर शंख, अड़तालीस नील, चौहत्तर खरब, तेरह अरब, छयानबे करोड़, सतहत्तर लाख, छियत्तर हजार (६,७८,४८, ७४,७३,९६,७७,७६०००) प्रमाण है। ॥ इस प्रकार ग्यारह अंगों का वर्णन समाप्त हुआ।
बारहवें दृष्टिवाद अंग का कथन दिटिप्पवादमंगं परियम्मं सुत्त पुश्वगं चेव । पढमाणुओग चूलिय पंचपयारं गमंसामि ॥ ७१ ॥
दृष्टिप्रवादमङ्गं परिकर्म सूत्र पूर्वाङ्गं चैव ।
प्रथमानुयोगं चूलिका पंचप्रकारं नमामि ॥ परिकर्म, सूत्र, पूर्वांग, प्रथमानुयोग और चूलिका के भेद से पाँच प्रकार के दृष्टिप्रवाद अंग को मैं नमस्कार करता हूँ ॥ ७१ ।।
तत्थ पयाणि पंच यणभ णभ छ पंच अट्ठ छड सुण्णं । अंक कमेण य याणि जिणागमे णिच्चं ॥ ७२ ॥
तत्र पदानि पंच नभो नभः षट् पंच अष्ट षट् अष्ट शुन्यं ।
अंकं क्रमेण च ज्ञेयानि जिनागमे नित्यं ॥ दृष्टिवादाङ्ग पद संख्या १०८६८५६००५ । श्लोकाः ५५५२५८०१८-- ७३९४२७१०७ । वर्ण संख्या १७७६८२५६५९९६६१६६७४४० ।
विट्ठीणं तिणि सया तेसट्ठीणं वि मिच्छवायाणं । जत्थ णिराकरणं खलु तण्णामं दिट्टिवादंगं ॥ ७३ ।।