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अंगपण्णति नाम, स्थापना, द्रव्य, क्षेत्र, काल, भाष को अपेक्षा सामायिक के छह भेद कहे हैं ।।१३॥
तत्थ इटाणि?णामेसु रायदोषणिव्वत्ति सामाइयमिदि अहिहाणं वा णाम सामाइयं ॥१॥
तश्रेष्टानिष्टनामसु रागद्वेषनिवृत्तिः सामायिकमिति अभिधानं वा नाम सामायिकम् ॥१॥ ___ इष्ट-अनिष्ट नामों में रागद्वेष की निवृत्ति होना नाम सामायिक है। अथवा जाति, द्रव्य, गुण, क्रिया की अपेक्षा के बिना किसी का नाम रखना नाम सामायिक है ।।१॥
मणुग्णमणुष्मासु इत्यिपुरिसाइआयारठावणासु कट्ठलेवचित्तादि. पडिमासु रायदोसणियट्टी इणं सामाइयमिवि वा इज्जमाणयं किंचि वत्थू वा ठावणा सामाइयं ॥२॥
मनोज्ञामनोज्ञासु स्त्रीपुरुषाद्याकारस्थापनासु काष्ठलेपचित्रादि प्रतिमासु रागद्वेषनिवृत्तिः इदं सामायिकमिति वा स्थाप्यमानं किंचिद्वस्तु वा स्थापना सामायिकं ॥२॥
मनोज-अमनोज्ञ, स्त्री-पुरुष आदि की आकार स्थापना में वा काष्ठ, लेप, चित्रादि प्रतिमाओं में रागद्वेष नहीं करना स्थापना सामायिक है। अथवा सामायिक आवश्यक से संलग्न मानव उसके समान आकारवालो वस्तु में स्थापना करना स्थापना सामायिक है ॥२॥ ___ इटाणि?सु चेदणाचेदणबब्वेसु रायदोसणियट्टी सामाइयसत्थाणुवजुत्तणायगो तस्सरीरादि वा दम्वसामाइयं ॥३॥
इष्टानिष्टेषु चेतनाचेतनद्रव्येषु रागद्वेषनिवृत्तिः सामायिकशास्त्रानुपयुक्तज्ञायकः तच्छरीरादि वा द्रव्यसामायिकं ।।३।।
इष्ट-अनिष्ट चेतन एवं अचेतन द्रव्यों में राग-द्वेष नहीं करना द्रव्य सामायिक है। अथवा जो भविष्य में सामायिक रूप से परिणत होगा या हो चुका है उसे द्रव्य सामायिक कहते हैं । इसके दो भेद हैं ॥३॥
आगम द्रव्य सामायिक और नोआगम द्रव्य सामायिक । जिस शास्त्र में सामायिक वर्णन है उस शास्त्र ज्ञाता जब उसमें उपयुक्त नहीं होता तब उसे आगम द्रव्य सामायिक कहते हैं ।