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अनुयोगचन्द्रिका टीका सूत्र २४८ अनुगमनामानुयोगद्वारनिरूपणम् ७७७ नामस्थापनादिभेदभिन्नस्तद्विषया या नियुक्तिस्तद्रूपस्तस्या वा ऽनुगमः, सच अनुगत अनुज्ञात एव । अयं भावः-अत्रैव सूत्रे प्रागावश्यकसामायिकादिपदानां नामस्थापनानिक्षेपद्वारेण यद् व्याख्यानं कृतं तेनैव निक्षेपनियुक्त्यनुगमोऽपि व्याख्यातो विज्ञेयः, तस्येवास्याऽपि व्याख्यानादिति । तथा-उपोद्घाताच्या ख्यानादिति। तथा-उपोद्घातनियुक्त्यनुगमः-उपोद्हननम्-उपोद्घाता-ज्या___ उत्तर-(निक्खेवनिज़ुत्तिअणुगमे अणुगए) नाम स्थापना आदिरूप निक्षेप के विषभूत बनी हुई जो नियुक्ति है, इस नियुक्तिरूप जो अनु. गम है वह, अथवा नामस्थापना आदिरूप निक्षेप के विषयभूत बनी हुई नियुक्ति का जो अनुगम है, वह नियुक्ति अनुगम है। यह अनुज्ञात ही है। तात्पर्य यह-कि इसी सूत्र में पहिले आवश्यक, सामायिक आदि पदों का नाम स्थापना आदि द्वारा जो व्याख्यान किया गया है, उसी से निक्षेप नियुक्ति अनुगम भी व्याख्यात हो जाता है। क्योंकि उसी व्याख्यान की तरह से इसका भी व्याख्यान है। (सेत निक्खेवनिज्जुतिअणुगो) इस प्रकार से निक्षेप नियुक्ति अनुगम का अर्थ है। (से किं तं उवग्यायनिज्जुत्ति अणुगमे १) हे भदन्त ! उपोद्घातनियुक्तिअनुगम का अर्थ क्या है ?
उत्तर-(उवग्घायनिज्जुत्ति अणुगमे) उपोद्धातनियुक्ति अनुगम में जो उपोद्घात शब्द है, उसका अर्थ 'उपोदहननम्.उपोद्घातः' इस
उत्तर--(निक्खेवनिज्जुत्तिअणुगमे अणुगए) नाम स्थापना माहि३५ નિક્ષેપને વિષયભૂત થયેલ જે નિયુકિત છે, આ નિર્યુકિતરૂપ જે અનુગમ છે, તે અથવા નામ સ્થાપના આદિરૂપ નિક્ષેપના વિષયભૂત બનેલ નિયંતિને જે અનુગમ છે. તે નિયુકિત અનુગમ છે. આ અનુજ્ઞાત જ છે. તાત્પર્ય આ પ્રમાણે છે કે એજ સૂત્રમાં પહેલાં આવશ્યક સામાયિક આદિપનું નામ સ્થાપના આદિ નિક્ષેપ વડે જ વ્યાખ્યાન કરવામાં આવેલ છે, તેથી જ નિક્ષેપ નિર્યુકિત અનુગમ પણું વ્યાખ્યત થઈ જાય છે. કેમકે તે વ્યાખ્યાનની
म सानु ५५ व्याभ्यान छे. (से तं निक्लेवनिज्जुत्तिअणुअगमे) मा प्रभारी निक्षेप नियुठत भनुगमन भय छे. (से कि त उवग्यायनिज्जुत्ति अणुगमे ) 3 Ra! Gधात नियुत अनुगमन। अथ छ। ?
त्तर-(उवग्धानिज्जुत्तिअणुगमे) Gधात नियुत अनुगममा २ उपधात शत छ, तर म 'उपोद् हननम् उपोद्घातः' नित
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