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________________ अनुयोगवन्द्रिका टीका सत्र २४२ निक्षेपद्वारनिरूपणम् टीका-- 'से कित' इत्यादि अथ कोऽसो निक्षेपः १ इति शिष्यप्रश्नः। उत्तरयति निक्षेपः-पूर्वाभिहितार्थः स: ओघनिष्पन्नो नामनिष्पन्नः सूत्रालापकनिष्पनश्चेति त्रिविधः । एषामर्थ एवं बोध्या- ओघा-श्रुताभिधान सामान्यमध्ययनादिक, तेन निष्पन:-ओघनिष्पन्नः। नाम-श्रुतस्यैव सामायिकादिविशेषाभिधान, तेन निष्पन्नो नामनिप्पन्नः । सूत्रालापकाः='करेमि भते ! सामाइयं' इत्यादिका स्तनिष्पन्न पुत्रालापकनिष्पन्न अथ सूत्रकार निक्षेपहार का निरूपण करते हैं'से कि तं निक्खे इत्यादि । शब्दार्थ-(खे कि त निक्खेवे ) हे भदन्त ! वह पूर्वप्रकान्त निक्षेप क्या है? उत्तर-निक्षेप का शब्दार्थ तो पहिले ही कह दिया गया है। (निक्षेचे निविहे पण्णत्ते) अत: पूर्व अभिहित अर्थवाला वह निक्षेप तीन प्रकार का कहा गया है । (तं जहा) जैसे-(ओहनिप्फण्णे नामनिफणे सुत्तालावनिप्फण्णे) ओघनिष्पन्न, नाम निष्पन्न, सूत्रालापक निष्पन्न । इनका अर्थ इस प्रकार से है-श्रुतनामक सामान्य अध्ययन आदि से जो निक्षेप निष्पन्न होता है, वह निक्षेप ओघनिष्पन्न है। अन केही सामायिक आदि विशेषनामों से जो निक्षेप निष्पन्न होता है, वह निक्षेप नामनिष्पन्न है। 'करेमि भंते सामाइयं इत्यादि सूत्रालापकों से जो निक्षेप निष्पन्न होता है, वह सूत्रालापक निष्पक्ष निक्षेप है। (से किं तं ओहनिफण्णे?) हे भदन्त ! ओघनिष्पन्न निक्षेप क्या है। 'से किं तं निक्खेवे' त्याला शहर--(से कि त निक्खेवे, मत! a yara Ca५ शु! ઉત્તર--નિક્ષેપને શબ્દાર્થ તે પહેલાં સ્પષ્ટ કરવામાં આવે જ છે. (निक्लेवे तिविहे पण्णत्ते) मे 2ी पूरी लिहित अथवान मा निक्ष५ त्रय सरनाम मावेस छ. (तं जहा) २ (ओहनिष्फण्णे, नामनिफण्णे सत्तालावनिष्फण्णे) मे धनियान, नामनि०पन्न सूत्रामा नि०५-न, माना અર્થ આ પ્રમાણે છે. શ્રુત નામક સામાન્ય અધ્યયન આદિથી જે નિક્ષેપ નિષ્પન્ન થાય છે, તે નિક્ષેપ નિષ્પન્ન છે. શ્રુતના જ સામાયિક વગેરે વિશેષ नामाथी २५- आय छ, नि५ नम निपन्न छे. 'करेमि भंते सामाइयं' ઈત્યાદિ સૂવાલાપકથી જે નિક્ષેપ નિષ્પન્ન થાય છે. તે સૂવાલા૫ક નિપાન नि५ छ. (से किं ते ओहनिप्पण्णे) Red.1 मानि-न निक्षेप छ?
SR No.040004
Book TitleAnuyogdwar Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1968
Total Pages925
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Book_Gujarati, & agam_anuyogdwar
File Size147 MB
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