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अनुयोगद्वारसूत्रे तच नामसंख्या स्थापनासंख्येत्यादि अष्टविधम् । तत्र नामसङ्लश-यस्य खलु जीवस्य वा अनीवस्य वा जीवाना वा अनीवानां वा तदुभयसा वा तदुभयेषां वा संख्या इति नाम क्रियन्ते सा बोध्या । तथा-स्थापनासंख्या-यत्खलु काष्ठकर्मणि वा पुस्तकमणि वा चित्रकर्मणि वा अन्यत्रापि वा संख्येति स्थापना स्थाप्यते सा स्थापनासंख्या। भामस्थापनयोः को विशेषः ? इत्याह-नाम यावविचार में इम शब्द से जहां संख्याशब्द का और जहां शंख शब्द का अर्थ घटित होताहो अर्थात् लागू पडता हो वहां २ उस उस शब्द की योजना कर लेनी चाहिये । (से किं तं नाम संखा) हे भदन्त । नामसंख्या क्या है ? (नाम संखो) नाम संख्या (जस्स णं जीवस्स वा जाव से तं नाम संखा) जिस एक जीव का अथवा अजीव का अथवा अनेक जीवों का या अजीवों का अथवा एक जीव अजीव दोनों का या अनेक जीव, अजीव इन दोनों को 'संख्या' ऐसा जो नाम रख लिया जाता है, वह नामसंख्या है। (से कि तं ठवणासंखा) हे भदन्त ! स्थापना संख्या क्या है ?(ठवणासंखा) स्थापना संख्या (जपणं कट्टकम्मे वा) काष्ठ कर्म में (पोत्थकम्मे वा जाव से तं ठवणसंखा) अथवा पुस्तकर्म में, या किसी चित्र में अथवा और भी किसी वस्तु में 'संख्या' इस रूप से जो आरोपित किया जाता है, वह स्थापना संख्या है।
शंका-(णामठवणाग को पह विसेसो) नाम और स्थापना में क्या अन्तर है? અર્થ ઘટિત થતું હોય ત્યાં સંખ્યા અર્થ તેમજ જ્યાં શંખ અર્થ घटित थतो डाय त्यांश अर्थ ४२व। योग्य छे. (से कित नामसंखा) ३ मत! नाम सध्या छ ? (नाम संखा) नाम सध्या (जस्स गं जीवस्त्र वा जाव से तं नाम संखा) २ मे पनु अथवा ! અજીવનું અથવા ઘણા જવાનું અથવા ઘણુ જીવ અજીવ એ મનેનું 'संख्या' मा २ नाम Pawanwi भाव छ. नाम या 2. (से कि त ठवणा संखा) 3 Ra! स्थापनाच्या शु छ ? (ठवणासंखा) स्थापनासभ्या , (जणं कटकम्मे वा) ४.७४ मा (पोत्थकम्मे वा जाव से त ठवणसंखा) अथवा पुस्तभमां मया मित्रम अथवा गमेत पस्तुमा સંખ્યા આ રૂપમાં જે આરેપ કરવામાં આવે છે, તે સ્થાપના સંખ્યા છે.