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मोगचन्द्रिका टीका सत्र ११८ अल्पबहुत्वद्वारनिरूपणम्
न्य (दबट्ठयाए) द्रव्पार्थना की अपेक्षा (सन्वयोवाई) सर्वस्तोक हैं। (अणाणुपु-धीदवाई) अनानुपूर्वीद्रव्य (दवट्टयाए) द्रव्यार्थता की अपेक्षा (विसेसोहिआई) विशेष अधिक है। (आणुपुवीदवाई) आनुपूर्वीद्रव्य (दबट्टयाए) द्रधार्थता की अपेक्षा (असंखेज्जगुणाई) असंख्यात गुणे हैं। (पएसट्टयाए) प्रदेशार्थताकी अपेक्षा (णेगमववहाराणं) नैगम. व्यवहारनय संमत (अणाणुपुब्बी दवाई) अनानुपूर्वी द्रव्य (सव्वस्थो. वाइं सर्वस्तोक हैं। क्योंकि (अपएसट्टयाए) अनानुपूर्वीद्रव्य में प्रदेशरूप भर्थ का अभाव है। तात्पर्य यह है, कि परमाणु रूप अनानुपूर्वी द्रव्यों में भी यदि वितीय आदि प्रदेश हो तो द्रव्यार्थता की तरह प्रदेशार्थना में भी अबक्तव्याव्यों की अपेक्षा से उनकी अधिकता हो जाती। परन्तु ऐमा तो है नहीं, क्योंकि परमाणु अप्रदेशी होता है। ऐसा सिद्धान्त का वचन है इसलिये प्रदेशता की अपेक्षा से ये अनानुपूर्वी द्रव्य सर्वस्तोक कहे गये हैं। (अवरायगव्याई) अवक्तव्यका द्रव्य (पएस. याए) प्रदेशार्थता की अपेक्षा (विसेसाहियाई) विशेष अधिक हैं। (आण पुन्वी दवाई) आनुपूर्वी द्रव्य (पएसट्टयाए) प्रदेशार्थता की अपेक्षा (असं. खेज्जगुणाई) असंख्यात गुणे हैं । (दव्वटुपएसट्टयाए) द्रव्यार्थता और. (सम्वत्थोवाइं) सौथी म८५ प्रभामा छ. (अणाणुपुठवी दवाई दव्वद्वयाए विसेसाहियाई) ०३ तानी अपेक्षा विया२ ४२पामा भाव तो मनानुपपी. द्रव्यो म१तय: ये। ४२di पिपाधि छ. (बाणुपुव्वीदव्वाई दवट्याए असंखेज्जगुणाई) भने दयार्थतानी अपेक्षा भानु द्रव्ये मनाना द्रव्ये ४२di पY AAभ्यात गया . (पएसट्टयाए) प्रदेशातानी अपेक्षा विया२ ४२पामा मात्र तो (णेगमववहाराणं) नरामय१७२ नयन मत (पणा. णुपुव्वीवाई) मनानुनी द्रव्ये (सव्वत्थोवाई) सोथी माछछ, ४।२। (अपरमदयाए) मनानुनी या प्रश३५ अन! ममा . मा यनना ભાવાર્થ એ છે કે પરમાણુ રૂપ અનાનુપૂર્વી દ્રવ્યમાં પણ જે બે આદિ પ્રવે. શાને સદ્ભાવ હેત તે દ્રવ્યાર્થતાની જેમ પ્રદેશાર્થતાની અપેક્ષા એ પણ અવકતવ્યક દ્રવ્યે કરતાં અનાનુપૂવી દ્રવ્યોની અધિકતા જ સંભવી શકત, પરતુ એવી વાતને તે અહીં અવકાશ નથી, કારણ કે પરમાણુ અપ્રદેશી હોય છે, એવું સિદ્ધાન્તનું વચન છે. તેથી જ પ્રદેશાર્થતાની અપેક્ષાએ मानानुर्षी दयने सस्तो (सोयी अ६५ प्रभाy) यु. (अवत्तगदम्बाई) भत०५४ द्रव्ये। (पएसट्टयाए) प्रशियितानी अपेक्षा भानुभूती द्रव्यो Rai विशेषाषिः . (आणुपुब्बीदव्वाई पएसद्वयाए बसंखेज्जगुणाई) प्रो.
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