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अनुयोगद्वारे छाया-अथ कोऽसौ मिश्रको द्रव्योपक्रमः स एव स्थासकादर्शकादिमण्डितः अश्वादिः । स एष मिश्रको द्रव्योपक्रमः । स एष ज्ञायकशरीरभव्यशरीरव्यतिरिक्तोद्रव्योपक्रमः । स एष आगमतो द्रव्योपक्रमः। स एष द्रव्योपक्रम ॥०६७॥
टीका--शिष्य पृच्छति-से किं तं' इत्यादि । अथ वाऽसौ मिश्रको द्रव्योमकमः ? इति । उत्तरमाह- मिश्नक: सचित्ताचित्तात्मको द्रव्योपक्रमः-स्थासकादर्शकादि मष्टितः-स्थासकः अश्वाभरणविशेषः, आदर्श: वृषभनीवारण विशेषः, आदि शब्दात् कुङ्कुमादयः, एषां समासः, तैर्मण्डितःभूषितः अश्वा
अब सूत्रकार मिश्र द्रव्योपक्रम का कथन करते है“से किं तं मीसए दवावक्कमे" इत्यादि । ।मु० ६७॥
शब्दार्थ-(से किं तं मीसए दवावक्कमे) हे भदन्त ! मिश्र द्रव्योपक्रम क्या स्वरूप है?
उत्तर--(मीसए दवावक्कमे से चेव थासगआयंसगाइमंडिए आसाई-से त मी ए दवावक्कमे) सचिनात्मक-मिश्र-द्रव्योपक्रम का स्वरूप इस प्रकार से है-कि अचित्त स्थासक और आदर्श आदि से विभूषित हुए घोडे से लेकर बैल तक के जानवरों में जो शिक्षा आदि गुण की विशेषता करने का उपक्रम किया जाता है वह परिसम विपपक मिश्रद्रव्योपक्रम हे । स्थासक यह घोडे का आभरण विशेष है। आदर्श पह बैल का आभरण विशेष है। एडक शब्द का अर्थ मेष हैं। स्थासक-आदर्श और आदि पद से गृहीत कुंकुम का लेप
હવે સૂત્રકાર મિશ્ર દ્રપક્રમના સ્વરૂપનું નિરૂપણ કરે છે
“से कि त मीसए दवावकमे" त्यilk
शहाथ-(से कि त' मीसए दवावकमे?) शिष्य गुरुने मेवे प्रश्न पूछे छ - बसपान् ! मिश्र द्रव्यो५४ भनु २१३५ छ
उत्तर-(मीसए दवावक्कमे से चेव थासगआयंसगाइमंडिए आसाइ-से त मीपए दवावक्कमे) - સચિત્તાત્મક મિશ્ર દ્રપક્રમનું સ્વરૂપ આ પ્રકારનું છે- અચિત્ત સ્થાસિક, દર્પણ આદિથી વિભૂષિત થયેલા ઘડાથી લઈને બળદ પર્યન્તના જાનવરમાં જે શિક્ષા આદિ ગુણની વિશેષતા કરવાનો ઉપક્રમ કરવામાં આવે છે, તેને પરિકર્મ વિષયક મિશ્ર કવ્યાપક્રમ કહે છે. સ્થાસક આ ઘોડાનું એક ખાસ આભરણ છે भने पनी मा मनु मास२९ विशेष छ. 'एडक' मा ४ मेष (..) ને વાચક છે, સ્થાસ, દર્પણ, કુંકુમને લેપ આદિ અચિત્ત દ્રવ્યો છે તથા અશ્વ,