________________ = प्रभुवीर की श्रमण परंपरा नहीं मिलता है। निह्नव मत के स्थापकों ने भगवान के सिद्धान्त को ‘निह्नव किया' (छुपाया) इस कारण उन्हें 'निह्नव' के नाम से जाना जाता है। ये सब प्राचीन जैन संघ की विरोधी शाखाएँ थीं। निह्नवों के इस प्रासंगिक वर्णन के बाद श्रमण परंपरा के मौलिक इतिहास की ओर पुनः चलते हैं। RRORE 12