________________ * 84 10 नहीं। दोपहर में भूखे राजा तथा प्रवदूत ने भोजन किया / राजा ने पूछा इस छोटी उम्र में पाप योगी कैसे बने / श्रीचन्द्र कहने जिस मनुष्य का पेट भरा हुआ हो तो उसके शरीर में स्नेह, स्वर में मधुरता, बुद्धि, लावण्य, लज्जा, बल, काम, वायु की समानता, क्रोध का अभाव, विलास, धर्म शास्त्र, पवित्रता, प्राचार की चिन्ता, और देवगुरु नमस्कार ये सब बातें संभवित होती हैं। योग की साधना के लिये, गुदे के मूल में चार दल वाला आधार चक, चार अक्षर लिखने मध्य में 'ह' अधिष्ठान चक्र 6 कोने वाला, ब-भ-म-य-र-ल नाभि में मणि पूरक चक्र दश दल में दस अक्षर, 'क से ठ' तक के कंठ में विशिद्धी सोला चक के सोला स्वर, ललाट में आज्ञा चक्र ह और स इस प्रकार योग की साधना की जाती है। जिसमें सकल संसार के हित के करने की शक्ति है, वर्ण रूप है जिसका ऐसे ब्रह्म बीज को नमस्कार करता हूं। राजा इस प्रकार दिन और रात अवदुत से चर्चा करते रहते हैं। परन्तु अपना पुत्र है यह नहीं जानते / अवद्त सारे राज्य का निरीक्षण करता है। किस समय वह अन्तपुर में गये होते हैं वहां जय आदि भाइयों ने मंत्रणा की कि 'राजा की प्रिया के दुख से मृत्यु होने वाली थी, परन्तु अवदूत ने आकर रोक दिया अब हमें राज्य किस तरह मिलेगा ? एक ने कहा कि चार दिन में लाख का महल बनवावें वास्तु मूहर्त के बाहने बीच के कमरे में राजा को बैठाकर द्वार बंधकर उस जला देवें। इस षडयंत्र को 'श्रीचन्द्र' ने अदृश्य रुप से सुन लिया। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust