________________ + 83 1. है वह राणी रक्त की बावड़ी में स्नान करके किनारे पर बैठी थीं उसी समय भारण्ड पक्षी ने वहां से उठाकर उनका हरण कर लिया। उसके वियोग से दुखी होकर राजा काष्ट भक्षण के लिये तैयार हुअा है। उसके मंत्रियों ने बड़ी कठिनता से आज प्रभात होने तक रुकने का कहा है / प्रतापसिंह ने मन्त्रियों से कहा कि राज्य सूर्यवती के पुत्र को देना / आज प्रभात में अब राजा काष्ट भक्षण करेंगे। खर्परा उमा सहित वृक्ष पर गई। श्रीचन्द्र ने सोचा मेरे पुण्य से आज मुझे यह वृक्ष मिला है, सचमुच किसी उपाय से पिता को बचाना चाहिये / ऐसा सोचकर अदृश्य पणे में खर्परा के वृक्ष के मूल में दृढ़ता से उसे पकड़ कर बठ गये। कुछ ही क्षणो में कुशस्यल पहुंच गये / वहां क्या देखते हैं कि सैकड़ों लोगों से राजा व्याप्त हैं और काष्ट भक्षण की तैयारी में हैं श्रीचन्द्र अवधूत का वेश बनाकर वहां जाकर बोले ठहरो, कुछ क्षणों के लिये ठहरो। राजा ने कहा तुम क्या जानते हो? श्रीचन्द्र चिन्तन करते हों ऐसी मुद्रा बना कर बोले तुम दुख को छोड़ दो, सूर्यवती पुत्र सहित आपको थोड़े ही दिनों में मिलेगी। क्षेम कुशल के समाचार आठ दिन के अन्दर मिलेंगे। . मन्त्रियों ने हर्षित होकर कहा हे देव ! यह सत्यवादी दिखाई देता है, इसलिये एक सप्ताह और ठहर जाइये / गोत्र देवी ही इन्हें यहां ले आई है। इनके वचन सत्य होंगे / चिता को ठण्डी करके, देवी की स्तुति कर आनन्दित होते हुये राजा ने अवदूत सहित नगर में प्रवेश किया। छुपते हुए श्रीचन्द्र दोनों वृक्षों को देखने गये परन्तु वे दिखे P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust