________________ "."46 सुन्दर महल की अगर नींव नष्ट हो जाय तो वह विशाल महल भी तुरन्त नष्ट हो जाता है उसी प्रकार दर्शन के जाने के बाद सब तत्व नाश को प्राप्त होते हैं / जिस प्रकार सारथी बिना का रथ, रण मैदान में शस्त्र बिना का पुरुष और ईधन बिना की अग्नि नाश को प्राप्त होती है सम्यक्त्व बिना के जीव की क्रिया धार पर लीपने जैसी है / अनाज प्राप्त करने के लिये फूतरों को कूटने जैसा है / सम्यक्त्व बिना चाह्य क्रिया करने वाला अंधेरे में नाचना ऐमा करता है। जिस प्रकार मरे हुए देह का पोषण करना व्यर्थ है उसी प्रकार सम्यक्व विना सब मनुष्ठान व्यर्थ हैं / सम्यवत्व प्राप्त होने के पश्चात प्रात्मा के नरक और तिर्य च गति के द्वार बन्द हो जाते हैं / देव और मनुष्य के उत्तम सुख तथा - मोक्ष सुख स्वाधीन बन जाते हैं / अगर पहले आयुष्य न बांधा हो तो सम्यक्त्व को प्राप्त हुआ जीव वैमानिक देव सिवाय दुसरी गति के पायुष्य को भी नहीं बांधता / श्री जिनेश्वर भगवान के सर्व वचन अन्यथा नहीं होते, उनकी कथित सब बातें सच्ची हैं ऐसी जिसकी बुद्धि है उसका सम्यक्त्व निश्चल है। इस प्रकार गुरु के वचनों को सुनकर श्रीचन्द्र ने उन्हें नमस्कार कर प्रायश्चित ग्रहण कर प्रिया सहित मागे को प्रयाण किया। ..:. क्रम से चलते हुए कल्याणपुर में आये वहीं गुणं विभ्रम राजा राज्य करता है उस नगर के मध्य भाग में बने हुए मन्दिर के दर्शन कर 'जब रह दम्पत्ति बाहर आये तो बहुत नर नारी कदम 2 पर उन्हें P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust