________________ * 12611 पर व्यतीत की / वहां वह प्रकाशित रत्नों को देखकर उन्हें लेकर शिर्ष नगर में पाया / वहां पातुवादीमों ने धोखे से उससे रत्न छीन लिये जिससे वह अति चिन्ता में पड़ गया। उधर जिनशेखर समाघि पूर्वक मर कर आठवें कल्प में देव रुप उत्पन्न हुआ। सुलस ने एक के बाद एक प्राती हुयी आपत्तियों से घबरा कर / काली च उदश को शमशान में जाकर प्रापघात करने की तैयारी की, उसी समय पुण्ययोग से जिनशेखर का ध्यान सुलस की तरफ पाया, उसने तत्क्षण वहां पाकर सुलस को बचाकर, अपनी हकीकत कही। प्रापघात के लिये ठपका देखकर उसे बहुत धन सहित अमरपुरी में छोड़ा और कहा कि जब जरुरत पड़े मुझे याद करना / ऐसा कहकर देव अन्तरधान हो गया / राजा को भेंटना देकर सुलस घर प्राकर सगे सम्बन्धियों से मिलता है। कामपताका को अपने घर लाकर उसके साथ और सुभद्रा के साथ संसार सुख भोगता है / विलास को भोगते हुये धन खतम हो गया तब वह जिनशेखर देव को याद करता है जिससे देव क्रोड़ द्रव्य की वृष्टि कर देव अंतरधान हो गया / एक समय सुलस ने गुरु महाराज से परिग्रह परिमाण का नियम लिया / एक दिन नगर बाहर शरीर चिन्ता के लिये बाहर गया वहां उसने धन देखा, नियम होने के कारण उसने वह धन नहीं लिया। ये समाचार जब राजा को मिले तो राजा ने प्रेम पूर्वक उसे राज्य का खजानची बनाया / कई वर्ष बीत जाने पर एक ज्ञानी गुरु महाराज पधारे / उनकी P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust