________________ सुमित्र चरित्रम् // 94 // ___अर्थ-तेथी राजाना आदेशथी आ पटह वागे छे के-'जे कोइ पोतानी बुद्धिवडे आनो विवाद भांगशे तेने राजा आ मंत्रीओनी 10 पासेथी लाख द्रम्म अपावशे, एमां जरा पण शंका करवी नहीं. // 53 // 54 // श्रुत्वेति पटहं मंत्रि-पुत्रः पस्पर्श बुद्धिमान् // ततो नियोगिभिर्निन्ये / सोऽश्वमारोप्य संसदि // 55 // ___ अर्थ-आवो उद्घोषणापूर्वक वागतो पटह बुद्धिमान मंत्रीपुत्रे स्पर्यो, एटले घोडापर बेसाडीने राजाना अधिकारी पुरुषो तेने राजसभामां लइ गया. / / 55 / / सुंदराकारमालोक्य / सकलं तं शशांकवत् // समुद्र इव गंभीरो / जहर्ष जगतीपतिः // 56 // ___अर्थ-ते मंत्रीपुत्रने सुंदराकारवाळो तेमज चंद्रमानी जेम कळावाळो अने समुद्रनी जेबो गंभीर जोइने राजा हर्ष पाम्यो.॥५६॥ विवेकमनयोर्वत्स / हंसवत्क्षीरनीरयोः // नराधीशस्तमाचक्षे / कुरु त्वं श्रेष्टिधूर्तयोः // 57 // 'अर्थ-राजाए तेने कर्यु के-' हे वत्स ! आ धूर्त अने श्रेष्ठीना विवादनो न्याय हंस जेम क्षीरनीरनो करे तेम करी बताव.' // समाकार्य ततो धूर्त / दृष्ट्वावादीत्स मंत्रिसूः // भद्रोपलक्षितोऽसि त्वं / चिरादृष्टोऽसि भाग्यतः // 58 // अर्थ-पछी मंत्रीपुत्रे ते बनेने पोतानी पासे बोलाव्या. तेओ आव्या एटले धूर्त्तने जोइने मंत्रीपुत्र एकदम बोल्यो के-'अहो हे भद्र ! में तमने ओळख्या, बहु काळे भाग्ययोगे तमें देखवामां आव्या पण बहु ठीक थयु. // 58 // तव पाश्वे मया मुक्तं / वर्णलक्षचतुष्टयं // परमेश्वरप्रत्यक्षं / यत्तदर्पय सत्वरं // 59 // जा।। 94 // GOOD ADDDDDDOOOOOOODOBER PPAC Gunratnasur MS Jun Gun Aaradhak Trust