________________ सुमित्र चरित्रम् // 59 // __अर्थ -अमूल्य अने स्वच्छ एवा अमृतवडे तेमज स्फुरायमान कांतिवाळा मणिओवडे इंद्रेज जाणे पोतानी सारभूत वस्तुओ अहीं राखी न होय एम जणाय छे. // 9 // नानारामसरित्कूप-तडागमठमंदिरैः // लंकातोऽप्यधिकं मन्ये / जनानां सुखदायकं // 91 // अर्थ-अनेक बगीचाओ, नदीओ, कुवाओ, तळावो, मठो अने मंदिरोवड़े लंकाथी पण अधिक शोभावालू ने जनोने सुखदायक ते नगर छे. / / 91 // तत्रास्ति रूपलावण्य-ललितांगो लसबलः॥ यथार्थाभिधया ख्यातो। राजा श्रोमकरध्वजः // 92 // ____ अर्थ-ते नगरमां रुपलावण्यवडे ललित अंगवाळो अने उल्लसायमान चित्तवाळो श्रीमकरध्वज नामनो यथार्थ अभिधानवाळो राजा छे. // 92 // | औदार्यधैर्यगांभीर्य-गुणरत्नौघसागरः // प्रतापाक्रांतदिक्चक / ऋध्ध्या शक्रसमोऽस्ति यः // 93 // ___ अर्थ-ते राजा औदार्य, धैर्य, गांभीर्य विगेरे गुणरत्नोना समुद्र जेवो, प्रतापवडे आक्रांत करेली दिशाओवाळो अने ऋद्धिवडे | इंद्र जेवों छे. // 93 // | तस्य हस्तेऽन्यदा कश्चि-दिव्यमानीय कंचुकं // ददौ सभोपविष्टस्य / लब्धं नद्याः प्रवाहतः॥ 94 // | अथे-सभामां बेठेला एवा तेना हाथमा अन्यदा कोइक दिव्य कंचुक नदीना प्रवाहमा तणाइने आवेलो कोइ माणसे लावीने | आष्यो. / / 94 // P.P. AC Gunralasuri MS Jun Gun Aaradhak Trust