________________ चरित्र CHOTEa aana@ दृष्ट्वा तं कंचुकं रम्यं / बहुलांतःपुरोऽपि सः // अप्यकार्षीददृष्टायां / स्वं मनो निश्चलं त्वयि // 95 // अर्थ-ते कंचुक जोइने घणी अंतःपुरीओवाळा छतां ते राजाए अदृष्ट एवी ते कंचुक धारण करनारी तारी उपर पोताना मनने निश्चळ कयु.॥९५॥ नानाहं वैरिणी वत्से / सर्ववेश्याशिरोमणिः // त्वत्कृतेऽत्राहमागच्छं / लात्वा तत्करबीटकं // 96 // ___ अर्थ-तेथी तने लाववा माटे हे वत्से ! ते राजाए सभामां धरेलुं बीडं में सर्व वेश्यामां शिरोमणि एबी वैरिणीए ग्रहण कयु अने तने लइ जवा माटे हुँ अहीं आवी. // 96 // सिद्धसीकोत्तरीभावा-मायां कृत्वा भवत्कृते / मारितश्च मयैवायं / मुष्टिं प्रज्वाल्य तामसेः॥ 97 // अर्थ-सिद्धसीकोत्तरीना प्रभावथी वधी माया उभी करोने खड्गनी मुष्टि अग्रिमा वाळी दइ आने में मारी नाख्यो छे. 197) भवांतरीयस्नेहेन / त्वद्भाग्यः प्रेरितोऽथवा // नरेश्वरोऽयं त्वय्येव / वर्ततेऽतोवरागवान् // 98 // अर्थ-भवांतरना स्नेहथी अथवा तारा भाग्यथी प्रेरित थइने मारो राजा तारा विषे अत्यंत रागवाळो वर्ते छे, // 98 // तत्त्वं शीघ्रं मया साक-मेह्येहि कुरु मामकं // प्रयास सफलं चारु-लोचने स्वं बयोऽपि च // 99 // अर्थ-तेथी हवे तुं शीघ्र मारी साणे त्यां चाल अने हे चारुलोचने ! मारा प्रयासने अने तारी वयने सफळ कर? // 99 // अज्ञातकुलशीलेऽस्मि-नेकाकिनि नरे तथा // पुरे श्मशानसंकाशे। त्यक्त्वा प्रीतिं प्रवल्यतां // 10 // DOOODOOODDDDDDDDDDR. GGERODE P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust