________________ सुमित्र // 50 // सांप्रतं दैवयोगेन / मद्भर्तरि दिवं गते // येन / हृतं राज्यं मृताः सुताः॥४३॥ | अर्थ-हमणा दैवयोगे मारा भर्तार मरण पाम्या अने शत्रुओए बहु सैन्यवडे आवीने राज्य लइ लीधुं, मारा पुत्रो पण मरण पाम्या. // 43 // अहं त्वेकाकिनी दुःख-दग्धा दैवविडंबिता // जीवग्राहं ततोऽनश्यं / यूथभ्रष्टा मृगीव हा // 44 // व अर्थ-देवे विडंबना करेली अने दुःखवडे दग्ध थयेली हुं एकली जीव लइने त्यांथी यूथभ्रष्ट थयेली हरिणीनी जेम भागी.॥४४॥ | रतिमन्यत्र नापाह-मतः स्वस्मिन् सुखार्थिनी / / भ्रातृगज्ये समायाता / मन्मनोरथपूरिता // 45 // __अर्थ-डे घणे स्थाने भमी पण कोइ स्थाने मने सुखनी प्राप्ति थइ नहीं, तेथी सुखनी अर्थी एवी हुं मारा मनोरथ अहीं पूर्ण - थशे एम धारीने मारा भाइना राज्यमां आवी. // 45 // | सर्व शुन्यमिदं दृष्ट्वा / क्षते क्षाराधिरोपणं // इव जज्ञे ममेदानी-मतोऽहं रोदिमीह भोः॥ 46 // | अर्थ-परंतु अहीं सर्व शून्य जोइने मने तो क्षत उपर क्षारर्नु अधिरोप थाय तेवू अत्यंत दुःख उत्पन्न थयुं तेथी हे कुमार! | हुँ रुदन करुं छु.॥४६॥ इतः प्रियंगुमंजर्या / बभाषे वल्लभंप्रति // स्वामिन् पितृस्वसेयं मे / तव श्वश्रूः समागता // 47 // | अर्थ-आ प्रमाणेनी तेनी वात सांभळीने पियंगुमंजरीए पोताना भर्तारने कयु के-हे स्वामिन् ! आ मारा पितानी व्हेन ने तमारी फुइ सासु आवी जणाय छे.' // 47 // नानाD DEAD DDDDDDDDDDDDDED PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust