________________ सुमित्र चरित्रम् // 40 // 4. अर्थ-ते वखते ए नरराक्षसने मारी शकाय तेम छे, बीजो अवसर नथी! ते सांभळीने कुमारे का के-'हे विचक्षणे ! तें ठीक वात कही. // 96 // द्वितीयांजनमादाय / नेत्रे अंजय मामके // ओतुरूपं मया ग्राह्यं / भवान् भजतु कोणकं // 97 // .. अर्थ-कन्या कहे-' हवे बीजुं अंजन आंजीने मने बीलाडी बनावो अने तमे खूणामां संताइ जाओ. // 97 // तथा कृत्वा रहस्तस्थौ / कुमारः करवालभृत् // तावदागाद्वदन् रक्षः। खादामीति पुनः पुनः॥९८॥ अर्थ-कुमार ते प्रमाणे करीने हाथमां तलवार लइ एकांतमा उभो रह्यो. तेवामां वारंवार खाउं, खाउं करतो ते राक्षस आव्यो. तत्कालमंजनेनासौ / स्त्रीस्वरूपां विरच्य तां // प्रोचे.विलोकयन् विष्व-विप्रये जेधीयते नरः॥ 99 // . अर्थ-राक्षसे अंजन आंजीने बीलाडीने राजकन्या बनावी. पछी चारे वाजु जोतो सतो ते वोल्यो के-'आटलामां मनुष्यनी | गंध आवे छे.' // 99 // - साभाषिष्ट मनुष्याह-मस्मि सांप्रतमत्र वै // कुरु त्वं यन्मनोऽभीष्टं / को निवारयितेह ते // 10 // अर्थ-कन्या बोली के-'मनुष्य तो हुँ छ, माटे अत्यारे तारा मनमां आवे ते कर, तने निवारनार अहीं कोण छे ?' // 10 // | पाणिग्रहणसामग्रीं / मुक्त्वैकत्राभवच्छुचिः // स्वाभीष्टं देवमर्चित्वा / क्षणं ध्यानेऽप्यलीयत // 1 // " अर्थ-पछी राक्षस विवाहसामग्री एक बाजु मूकीने पोते पवित्र थइ, पोताना अभीष्ट देवने पूजीने क्षणवार ध्यानमा लोन थयो. DOOODoto DO COMEDDDDDDD B // 40 // P.P.Ac Gunratnasuri MS Jun Gun Aaradhak Trust