________________ ममित्र // 39 // DDDDDHIDDDDIREDfoja aana स एष राक्षसो दुष्टो / विवाहोपस्करैर्युतः // अद्यैव परिणेतुं मां / शीघ्रमेति विहाय सा // 91 // . A 'अर्थ-ए दुष्ट राक्षस मने परणवानी इच्छाथी विवाहसामग्री लइने आकाशमार्गे शीघ्रपणे अहीं आवे छे. // 91 // स्मित्वोवाच कुमारस्तां। ज्ञातं ज्ञातं भवन्मनः // वरीक तमेव त्वं / वांछस्यज्ञे यमं न मां॥९॥ अर्थ-ते सांभळी काइक स्मित करीने कुमार बोल्यो के-'जाण्यु, जाण्यु, तारु, मन जाण्यु, तुं ते यमने वरवा इच्छे छे, मने वरवा इच्छती नथी..॥ 92 // श्रुत्वा निःश्वस्य सावोच-महाभाग :भवाशां // अत्यंतं मंदभाग्याहं / वररत्नं कथं लभे॥ 93 // अर्थ-आ प्रमाणे सांभळी निश्वास मूकीने ते बोली: के-'हे महाभाग ! हु. अत्यंत भेदभाग्यवाळी छु, तमारो जेवो वररत्न / | हुं क्यांथो मेळवी शकुं? // 93 // अथोचे तेन सा तस्य / मर्म किंचित्प्रकाशय // येनामुं राक्षस हुन्मि / त्वन्निःकारणवैरिणं // 94 // . ___ अर्थ-कुमार कहे छे के तुं एनो मर्म काइ होय तो जणाव के जेथी तारा निष्कारण वैरी एवा ते राक्षसने हुं हणी शकुं. जहर्ष वचसा तेन / सा कन्येति तमब्रवीत् // मुहूर्तमेकं मध्याहे / निश्चलोंचत्ययं सुरान् // 95 / / अर्थ-आ वचनथी हर्ष पामोने ते कन्या बोली के-'मध्यान्हे एक मुहूर्त ए निश्चळ थइने देवपूजा करे छे. // 95 // स एवावसरो नात्यो ।बधेठस्य तररक्षसः // श्रुत्वेति स कुमारोऽव-साधूक्तं ते विचक्षणे // 960 // न // 39 // | IDEO SIDDDDDD नननननननननन P.P.AC.Gunratnasur M.S. Jun Gun Aaradhak Trust