________________ भाषाटीकासहित. धन वल गयो धूरहि धूर दिखात जग / उठि अंजौं न मेरे वत्सगन रक्षहिं अपनो आर्य मग // 17 // दोहा. जा वाली जैमिनि गरग पातंजलि शुक देव / रहे हमारेहि अंकमें कहहिं सवै भुवदेव // 18 // याही मेरे अंकमें रहे कृष्ण मुनि व्यास // जिनके भारत मानसों भारत वदन प्रकास // 19 // याही मेरे अंकमें कपिल सूत कर्पास / याही मेरे अंकमें शाक्य सिंह सन्यास // 20 // याही मेरे अंकमें मनु भृगु आदिक होय / तव तो तिनको करत हो आदर जग सब कोय२१ की प्रार्थना-छन्द. 'तजि मूर्खता उन्नति करहिं निजदेशमें . P.R.AC.Gunratnasuri-M.S. . Jun Gun Aaradhak Trust