________________ - स्त्रीचरित्र शुभ मति रहै / समुचित विवाह प्रचारही कुल नारिगणआनंद लहै। फैले सुविद्यादेः शमै गृह कलह मिथ्यालस वहै। यह दासपन आधीनता तुम कृपाते छिनमें दहै 22 वीरता. . प्रसंगवश यहां एक भारतवीरकी वीरताका वर्णन करते हैं. चित्तौर मेवाडके अधिपति महाराणा उदयसिंह बादशाह अकबरके समयमें थे, उनके ज्येष्ठपुत्र महाराणा प्रतापसिंहजी विक्रम सम्वत् 1618 में गांव गोधूदेमें गद्दीपर बैठे थे परन्तु महाराणा प्रतापसिंहजीके पास कुछ विशेष राजसीठाठ व कोई दृढ किल्ला नहीं था, क्योंकि चित्तौरगढको अकबरने पहलेही अपने वशमें करलिया था, और उनके जाति, भाई, तथा सम्बधीगण अकबरके साथी हो रहे थे, मारवाड, बीकानेर, आमेर और वृंदी जो कि पहले प्रतापसिंहजीके साथी थे वे अकबरके पक्षपाती हुये यहां तककी प्रतापसिंहजीका संगा - P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaraghak Trust