________________ - . स्त्रीचरित्र.. देखनके योग्य है; हे मैत्रेयि ! जो तुम अमर होना चाहती हो तो उसी परमात्माका श्रवण और विचार ध्यान और अपने हृदयमें दर्शन करो, इति / : वेद वेदांग स्मृति शास्त्रः पुराण आदिकोंसे स्त्रियोंका पढा होना सूचित होता है स्त्रियोंको पढना परमावश्यक है तथापि भारतवर्ष स्त्रियोंको पढानेकी प्रथा लुप्त होगई है, पुरुषका आधा अंग स्त्री है, स्त्रीका न पढाना ऐसा है। मानों आधा अंग सुशोभित है और आधा अंग दीन और मलीन है.... . , शकुन्तला........... महाकवि कालिदासकृत शकुन्तला नाटकमें कच मु. निकी कन्या शकुन्तलाने अनेक शास्त्र पढे और महाराज दुष्यन्तकी दी हुई अंगूठीमें जो नाम खुदा हुवा था, उसको पढ उसको अर्थको अपनी सहेली अनसूया और प्रियम्बदाको समझाया था....... .. अनसूया... ब्रह्मपुत्र महामुनि अत्रिजीकी स्त्री पतिव्रता अनसूयाने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust