________________ भाषाटीकासहित. करताहै, स्त्रीके लिये स्त्रीमें प्रेम नहीं करता ! एवं पुत्रों में पिता अपने आनन्दके लिये प्रेम करता है पुत्रोंके लिये पुत्रों में प्रेम नहीं करता क्योंकि आज्ञा भंग करनेवाले और दुष्ट पुत्रोंमें कोई प्रेम नहीं करता, इस कारण ये झूठे और क्षणभंगुर है, इन सबोंमें प्रयोजनकी मित्राई है, वास्तविक प्रेम तो आत्माहीमें है अतः वह सत्य हैं और अपनेमें सदैव प्रेम रखता है, जैसे पक्षी अपने बच्चोंको अपने पंखोंके नीचे दबाकर सोता हैं और पुष्ट करता है ऐसेही वह परमात्मा सर्वदा अपनी रक्षा करता है, इससे उसीमें प्रेम करो क्योंकि वह परमात्मा अवि- नाशी और सदैव तुम्हारा साथी है. - श्रुति. आत्मावारे दृष्टव्यः श्रोतव्यो मंतव्यो निदिध्यासितव्यश्चेति // अर्थ-हे मैत्रेयि ! वह परमात्माही सुननेके और विचारनेके और मनमें धारण करने, और हृदयमें साक्षात P.P. Ac. Gunratnasuri'M. Jun Gun Aaradhak Trust .