________________ - 176 स्त्रीचरित्र. हुआ है, रे कुलांगार उन्हीकी बहू बेटियों पर हाथ डालते तुझे लाज नहीं आती धिक्कार है तुझको ! - अकबर-आप मुझ नापाक गुनह गारको जितन धिकार दें वजा है, मगर याद रक्खें यह हुमायुका वेटा __ अकबर जब कि खुदाय पाकके नाम पर आज अहद - करता है अगर कभी फिर उससे यह गुनाह हुआ, तो इस दुनिया में मुंह न दिखायगा, अब मुझे ज्यादा न शर्मायें, और मेरी जां वरशी करैः - रानी–देख तू वडा वादशाह है, मेरे स्वामीने तेरा नमक खाया है, इस कारण आज तुझे छोडे देती हूं परन्तु समझ रख, तेरा राज्य केवल राजपूतोंको वाहूवलसे है, यदि आज पीछे कभी तेरी यह हरकत सुननेमें आयेगी तो सारे राजपूतानेमें तेरे इस भेदको खोल दूंगी, और एक दिनमें राजप्त मात्रको तेरा वैरी वनाऊंगी, यह कहकर वीर नारीने अकबरको छोडदिया.. अकबर-(रानीके पैरों पर गिरकर ) मैं आपके P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Juh Gun Aaradhak' Trust