________________ भाषाटीकासहित. 177 इहसानसे कभी सुवुकदोष नहीं हो सकता, आपने न सिर्फ आज मेरी जां वरशी की, बक्ति मुझे बहुत बड़े गुनाहसे बचाया, मेरे ऊपर जैसे इतना करम हुआ, यहभी वादा फर्माया जायर कि यह भेद किसीसे जाहिर न किया जायगा और मेरी गुनाह मुआफ फर्माई जाय. रानी-मैं प्रतिज्ञा करती हूं कि, यह भेद किसीसे न प्रकाश करूंगी. परंतु मैं गुनाह मुआफ करनेवाली कौन ? उस करुणामय जगत्पिताकी सच्चे जीसे क्षमा प्रार्थना कर वही तुझे क्षमा करेगा. यह सुन घुटनेके वल वैठकर अकवर क्षमा प्रार्थना करने लगा और रानी कटार लिये अलग खडी होगई. - अकबर तोबा करता है. -. हहा मैं गुमराह जिन्दगी भर इलाही तोबा इलाही तोबा / चला न नेकी हाय रहपर इलाही तोबा इलाही तोबा // दी इस लिये मुझको बादशाही कि तेरे वन्दों 12.A Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust