________________ भाषाटीकासहित अंतकालहरिलोकतेहि,यशगावैश्रुतिचारि१३ पिय आज्ञा विन नारिजो, पूजै देव विधान। तौ तेहि पतिआयू घटै,ताको नरक निदान॥ वरतकरै तीरथकरै, दानधर्मजपयोग। स्वामीभक्ति विहीन तिय, पावै यमपुरभोग। एक तपस्या एक बल, एक आश विश्वास। मनसा वाचा कर्मणा, पतिपदपरमहुलास। अथ स्त्रीशिक्षाविषयक व्याख्या.. बहुत दिनोसे भारतवर्षीय लोगोनें स्त्रियां नहीं पढती और न उनके परिपालको द्वारा पढानेका उपदेश किया जाता है स्त्रियोंके न पढनेसे बडे बडे अनर्थ फैलगये है / यावन्नसाक्षरामाता, तावत्तहालबालिका। निरक्षराहितिष्ठति विनोपायसहस्रकैः // 16 . अर्थ-जब तक माता नहीं पढी होती तबतक उसके बालक, बालिका विना पढ़े हुयेही रहते है, चाहे हजारों उपाय क्यों न किये जाय तथा जबतक धर्मशास्त्र के द्वारा पुण्य पापको न जाने, तबतक पुण्य करना, - - - - - P.P. Ac: Gunratnasuri M.S.. P.P. Yun Gun Aaradhak Trust