________________ भाषाठीकासहित. करि स्नान वस्त्र शुचिधारन / शिर सेंदुरकी तिलक संभारन // . दृग अंजन दै भूषण करई।... पतिकर ध्यान हृदय महंधरई // तव पिय रुचि ज्यौनार बनाई। अशन देखि अस कोन लुभाई // ताहि सिद्ध करि पियहि जिमाई। सेवाकरहि भक्ति मनलाई // तेहि पाछे त्रिय भोजन करई। विनु प्रयास भव सागर तरई // 10 // ठाकुरद्वारे हरि अशन, साधु न करहिं विवेक। त्यों जानै पियजूठनाहि,राखिप्रियामतिएक॥ - चौपाई... जैसे हरिहिभजतहै साधू।। सुरति न टारि सकहि पल आधू // P anaman . P.P.AC.GunratnasuriM.S.. ___ Jun Gun Aaradhak Trust :