________________ स्त्रीचरित्रः करिये / विनु प्रयास निस्तार हर्षि भवसा गर तरिये // तब नहिं तेहि माया छलै अ-चल पतिव्रत. भक्ति है / वहु अनंद तेहि -जगतमें कर जार तेहि मुक्ति है // 9 // अथ संक्षेपतः पातिव्रतधर्मवर्णन-चौपाई. / नारि पतिव्रतधर्म वखानौं। अति संक्षेप रीति उर आनौं / प्रातधमे यह नारिन करा। पीय मुख लखि तब उठहि सवेरा // पतिके चरण शीश तवदेई / / मुखधोवन हित जलकर लेई॥ तव मुखधोई देई कर दर्पन / करै देव अजपाकर अर्पन // बहु अनंदते पतिहि रिझाई। अपनो गृह कारज कर जाई // 2. Jun Gun. Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S...