________________ . Durar भाषाटीकासहित. 135 यन्दराय गहलौत, चण्डपुण्डीर, हमीरहडा, कनक वडगूजर, अल्हन कुमार परिहार, लाखनसी वधेला, तथा कन्ह आदि सब वीर काम आये, इनमेंसे प्रत्येकने चढ़ वढकर वीरता दिखाई, परन्तु नर व्याघ्र 'कन्हां' को छटा इन सबसे निराली थी, कन्हके घोडे और (छगन ) सहीस तकका कबन्ध लडा, मंकणक ऋषिके नृत्य समान उनके युद्ध समय सब पृथिवी और आकाशादि नाचतेसे दिखाई दिये, इस युद्धके समाप्त होने उपरान्त कर्णाटकीको सम्मतिसे महाराज पृथिवीराजने संयोगताको अपने साथ लेकर दिल्ली जानेका विचार किया, परन्तु छिपकर जाना उचित न जानकर कविचन्दको सुधि दनके लिये जयचन्दके समीप भेजा. वहां जयचन्द अपनी सभामें बैठे मंत्री और सेनापति रावणके संग वार्ता लापकर रहे थे. जयचन्द-(मंत्रीसे) जिस प्रकार गज जलके लोभसे ... दल. दलमें आ फंसता है, चुगेके लोभसे पक्षी जालमें आ फंसता है और वालूको जल समझकर कुरङ्ग मृग emain Caratnasuri Gun Aaradhak Trust