________________ - स्त्रीचरित्र. तृष्णामें भटकता है, उसी प्रकार पृथिवीराज इस समय आपही आप आगया, अवश्य इसको दंड देना चाहिये हमारी सेना शीघ्र तैयार करो, रावण-महाराज, कलके युद्ध में पृथिवीराजके बहुतसे प्रसिद्ध वीर मारे गये... मंत्री-(धीरसे) अपनीभी बहुतसी सेना काम आई. - जयचन्द-कुछ चिन्ता नहीं, अभी हमारी सेना बहुत है और इसी दिनके लिये सेना रक्खी जाती है, हमको केहर कंठीरके मारे जानेका बडा खेद है, - कवित.. धावहु चतुरंगिनि लै वेग बलशाली जन थिवी ते नाम पृथिराजको मिटाय दो। गावहु सिंदूर अरु शंकरादि ऊंचे स्वर तोपनकी मार मार भूमि उलटाय दो। लाबहु मम शस्त्र मैं चलि हौं तुह्मारे संग श P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.