________________ Hoaeaasasian r asountain भाषाटीकासहित. पिचकारिनसे चलत तमंचा लालहि लाल करे / गोला चलत कुम्कुमा मानो लाल गुलाल भरे / जल सीकरसे तीर चतुर्दिश अगणित उमंग परे। भये रुधिरमें सकल तरातर मज्जा भेद भरे / बर्थी तेग त्रिशूल भुशुंडी जो जिहिं हाथ परे।मार मार कह मारत बहु विध तनकी सुध विसरे। धुआं धार अंधियार चहूं दिशि गरदावाद भरे। मच्यो घोर घम सान कोन कित काहुन जान परे // 8 // -- कविचन्द कहने लगे, देखो नख्याघ्र कन्हकी बाणवर्षासे क्षण भरमें धरती आकाश ढक गये, मनुष्य, हाथी, घोडा आदिके घायल और मृतक शरीरोंका ढेर लगगया, रुधिरकी नदी वह निकलो, जिसमें वीरोंके छिन्न भिन्न अंग वहने लगे और किनारों पर हंस, सारस GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust