________________ 126 स्त्रीचरित्र जयचन्द्र कर्णाटकीसे कहने लगे कि. तू तो पृथ्वीराजके सिवाय किसीको पुरुष नहीं समझती थी फिर इस समय शिर क्यों ढका, क्या तुझको पृथिवीराज कहीं दिखाई दिया ? यह सुन कर्णाटकाने उत्तर दिया कि, पृथीवी और चन्द्रका दृढ सम्बन्ध समझकर मेंने इतती मर्याद को जो प्रत्यक्ष पृथ्वीराजको देख लेती तो शिर ढककर क्यों उघाती ? जयचन्द्रने कहा, क्या तू चन्द्रके सेवकको पहिचान ती है. कर्णाटकीने उत्तर दिया हां महाराज ! इनका इनका नाम कुछ भूप अथवा भूपतीसे मिलता हुवासा है, यह सुन जयचन्द्रने अपने मनमें कहां क्या करें ठीक निश्चय होता और सन्देह नहीं मिटता, अच्छा चन्द्र तो ठहरे हीगा, इनके डेरेमें गुप्त दूत भेजकर सब भेद जान लेंगे, यह विचारकर अपने सेनापति रावण' का बुलाय कहा कि, इन चन्दको ले जाकर आरामस विश्रामसे दो और महमानीका सब सामान पहंचाआ P.P.AC. GunratnasurtM . Jun Gun Aaradhak Trust