________________ भाषाटीकासहित 127 इनको किसी प्रकारका परिश्रम न हो, सुन रावणने E कहा, जो आज्ञा महाराज, यह कह उठ खडा हुवा,मंत्री ने चन्दको पान देकर पृथ्वीराज सहित वहांसे बिदा किया, चन्द आशीर्वाद देकर चला. .. दोहा. जय जय चंदसदा, रहैही विध आनंद। - कुमुद विकाश प्रकाश लख, होय कमल -द्युति मन्द // 3 // वहांसे आकर कविचन्द अपने डेरेमें विराजमान हुये. जब चन्द अपमे डेरेमें पहुँच गये, तब भेद लेनके लिये जयचन्द अपने मंत्री समेत चन्दुके डेरेमें आये, - उस समय महाराज पृथ्वीराज कविचन्द्र और गोबिन्दराय आदि सरदारोंसे कुछ सामयिक बात चीत कर रहे थे, एक सेवकने आकर कहा कि, महाराज जयचन्द आये है और कविचन्दसे मिला चाहते हैं, यह सुन चन्द्रक वन अत्यन्त सत्कारसे जयचन्दको बुलाय पलंग पर - विगया और आय नीचे बैठे. . .P.P.AC. Gunratnasuri M.S.. . ____Jun Gun Aaradhak Trust...