________________ -rrr / भाषाटीकासहित. 125 तत्काळ अपना ढकाहुवा मस्तक उघाड दिया, और बन्दकविको प्रणाम किया और यह रेखता कहा. रेखता. सुनये कृपाल चित दै सुनिये कथा हमारी। छूटा स्वदेश जबसे तबसे कलेश भारी। निजगोलसों मृगी ज्यों विछ्रै करम कि मारी // शशिमैं मृगाङ्क लखिके कैसे जि। यै विचारी। अतिशक तृषार्ति होवे लूकी लपट प्रजारी शशिमें सुधा निरखिके चाहे. नक्यौं दुखारी ? दितियाकि चन्द्रकी छवि यासों विशेष प्यारी दोनौं कि दृष्टि तापर मिलजाय एक वारी। चलनेमें चन्दसों बढ - कौन शीघ्रचारी? जल्दी संदेश देके हरि ये विपत हमारी॥सुनये कृपाल चित दै दुखकी कथा हमारी // 2 // ..P.P.AC..Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust.