________________ . स्त्रीचरित्र, 125 है. इससे ज्ञात हुवा कि तुमारा बल वाणीमें है, जैसा शास्त्रमें नहीं पाया जाता, अच्छा अब यह बताओ कि, इतने मुकुटबन्ध राजा इस समय हमारी सभामें बैठे है इनमें पृथिवीराज किसकी अनुहार है, . जयचन्द्रकी यह बात सुनकर कविचंद्रने इसे शब्द कहते समय बहु वार अपने पिछे खडे हुये पृथिवीराज कि ओर अंगुली करके यहा कहा, छप्पय. 'ऐसो राज ट्रथिराज जिसो गोकुलमें मोहनइसो राज पृथिराज जिसो भारतमें अर्जुन। इसो राज पृथिराज जिसो अभिमानीरावना इसो राज पृथिराज राम रावण सन्तापन।वर्ष तीस से अधिक है तेजपुंज अनुपम वदन / इमि जपै चन्द्र वरदाय वर पृथिराज अनुहार इन // 1 // - यह सुन जयचन्दने करवी राजकी ओर देखकर मनमें . .P.P.AC.GuaratnasuriM.S.. Jun Gun Aaradnak Trust