________________ स्त्रीचरित्र अपना काम करके लौट आया, और ताला खोलकर अपनी स्त्री चमेलीसे क्रोधित होकर कहने लगा, कि अरी नादान ! अच्छे घरोंकी स्त्रिया कहीं इसतरहसे सौ. दा लिया करती हैं, तुझको जो वस्तु दरकार हुआ करें वह हमसे क्यों नहीं कहदिया करती, जो हम'ला दिया करें. चमेलीने आंखें तरेर कर कहा. क्योंजी वृथा क्रोध किस कारण करते हो ? चबेनाका नाम सुनकर चबानेकी इच्छा हुई, बहुतेरी वस्तुयें ऐसी हैं कि जिनका नाम सु. नकर खाने पहिरनेको मन चलायमान होता है. एक तो तुमने मुझको बन्धनमें रखकर दुःखी कर रक्खा है, दूसरे जिस किसी वस्तुको मन चाहै तो खानेसे रोकते हो. यह सुनकर सुनार आपेसे बहार हो गया और बोला, मुझको किसी स्त्रीका विश्वास नहीं स्त्रियोंमें बहुत औगुण भरे होते हैं, स्त्रियों के छल कपट मैंने बहुत कुछ सुन रक्खे हैं, इसकारण मैं तेरे पास किसी स्त्रीको नहीं आने देता हूं. यह सुन चमेली बोली, सब स्त्रियां एकसी नही होती. यदि मुझको छल करना होगा. तो तुमारे P.P. Ac. Gunratimasuri M.S. Jun Gun Aaradtak tu!