________________ स्त्रीचरित्र. याव। चौर जुआरिन बहुत कम, सजा होय मन भाव // 50 // डधनी अरु ज्ञानी मानी।सबसे कंपट करें हठवानी ॥बडो भाग असमिलेसपूता। चहुं दिशि हमैं अमृत रस चूता॥ वाको व्याह भयो नहिं गोरी / तुम समान बहुऐं सब मोरी // मोरह एक यही रुजगारा / प्रेमिनके द्विग करौं गुजारा // लै मालाप्रमुनामउचारौं।निशिके पाप घाँटि सब डारौं // 51 // दोहा-वृथा लेउं नहिंदाम कछु, करौं चौगुना काम। मोर चौकसी अहै जस, जानत सीताराम // 52 // इहिविधि गयो सुहाग मम, छट न बाल सुभाउ / रांडभई तबहूं सखी, सोचेउं सुखद उपाउ॥५३॥ कबहुं कबहुं जिय होय हुलासा, फिर वह - गीत। / P.P...AC.GunratnasuriM.S..... Gun Aaradhak Trust