________________ भाषाटीकासहित. खभरे हम भीतर हर्षाय / ऊपरसे सुसकै कबहुं, कबहुं अधिक घबडाय॥४७॥ टटका टोना बहु कियों दिह्यों फकीरनदान। नौतनके दिगजायके, किह्यों बहुत सन्मान॥४८॥ - चौपाई। मैं लडिका मसजिदपर जाऊं। तुरत मियासे फूंक डराऊं // चलत ताजिया भेट कराऊं। शर्व तर उडि भोग लगाऊं॥ मरद शहीद सुनौं कहिं कोई। वहां गये बिन चैन न होई // इहि विधि कियौं अनेक उपाऊ। जिये न लालनछूट मुभाऊ // कौनिउ जतन बचायक लाला।पीरू नाम धरउं जग आला // सिखयउंताहि जुवां अरु चोरी।चोरी व्यवसा यन काहु निहोरी। औरहु एक सहज बदमासी।परतिय हरन सरन सुख रासी॥४९॥ -दोहा-राजभला अंगरेजको, सच्चा होय नि ""p.P.AC..Gunratuasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust