________________ भाषाटीकासहित. गीति-छद / / सौ सौ छेद कानमें मेरे पहिरौं गुच्छनवाला। गले हासुली सेरभरेकी बिच बिच कंचनमाला // 34 // कड़ा छडा पग बजै बूंघुरू सुनत नीक मन लागै / चहैं जहां कोउ रहै / रसिकजन सोवतह उठि जागै // 35 // वदन मोर जसरहा चीकना पहिरौं झीनी साडी। पडे खडे चलते चलतेको तनमन देहु उ भाडी // 36 // गोदना में सबगात गोदायो - सुर्मा सिंदुर निराले / पांव महावर चोख वतीसी अबहुं दांत. मोर काले // 37 // दोहा-सासश्वशुर लतमारथे,जेठ देवर मुंहचोर / रांध पडोसी दवसटे, कौन करै वत झार // 38 // होत भोर पौ फाटते, नित उठि गंगनहायं / राहपाट ठलु आनसे; झ. -झवि. झूमि अठिलायं // 39 // साधुनके "P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust .