________________ स्त्रीचरित्र सकुचायं / हम चाहें जो कुछ करें, कबहुं / न ट्रकरिसिपाय॥२८॥आप चहें जाडन मरें, हम दुशाला देहिं / नित उठिगोत उचारहूं, तभूबलेया लेहि।।२९॥आपचहें भूखे रहैं; सागपात भरि पेट।मम हित लावे वस्तु सब, चद्दरमाहिं लपेट। ३०॥आप न पहिरै पानही, ओ वसन पुरान / जरीकिनारीदार हम, धरै थानके थान॥३१॥ रही कमाई ससुरकी,सो सब लीन बेचाय। नखशिखगहना हमलदी, तभून हृदय जुडाय // 32 // , नथनी पहिरौं जसचाक कुम्हारको, मूगां रु मोती नगीननवारा / दालसी हालरही झुलनी,पुनि नाक कटी फटि केतिक वारा॥फूलीखुली मानो शूलहुली, दिलदारनके हियरे खरधारा। साहै बुलाक झलाक मलाक, ति. लाक हमें पल नेक उतारा // 33 // P.P.'Ac: Gunratriasuti M.S. Jun Gun Aaradhak Trust