________________ भाषाटीकासहित. मालतिहुं काल हम, छिनछिन पान चबायं / तेल फुलेल लगाय मुख, झकियनसे मुसकांय॥२२॥ बुढवन लखि दुइहाथका, लेइ धूंघट लटकाय / देखि छैलको रसभरे. नैन देहिं झमकाय॥२३ // महरन संग बडि प्रीतिथी, महरिन संग व्यौहार / छैल सुनरवा मी तथा, और एक मनिहार // 24 // जब - 'घर आवें साजना, प्रगट करें बहुरोग / गये सजनसुख चैनसे, करविविधरसभोय // 25 // - गीतिन्छन्द। मेंदीथोपि हाथपियके ढिग जात्यूमुंह लटकाइ / मोर गुमान देखि बहुरंगी ओऊ जातसकाई // 26 // करिपीछा सोउ त्यूं उसांसभरि सुनेमोरिचतुराई। यही तरह निशि टाल बताके देत्यूं सहजबिताई // 27 // / दोहा-सजन हमारेथे भले, हमें बहुत . .P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust