________________ भाषाटीकासहित. अतिमधुर वाणीसे पढकर साध्वीजीने कुछ समय बिताया. अनन्तर क्षणमात्रमें साधीजीका मुखकमल मुरझा गया और बोली कि, पंडितजी ! वास्तवमें यह पुस्तकु बहुत उत्तम है, परन्तु बहुत बोझा होने के कारण हम इसको लेकर चल नहीं सकती, क्योंकि हम तीर्थाटन करती हुई सर्वदा विचरती रहती हैं, अधिक बोझा लेकर चलनेवालेको चोर उचक्कोंका भय बहुत रहता है, इस कारण इस पुस्तकको हम ले नहीं सकतीं. यह कहती हुई साध्वीजीके मुखमंडलपर सहसा प्रसन्नता छागई, और कहनेलगी कि पंडितजी ! इस पुस्तक वा. रम्बार अवलोकन करनेकी युक्ति हमने सोचली है. वह य-* है कि, श्रीधर शिवलाल 'ज्ञानसागर' छापाखाना बंबई की छपीहुई यह पुस्तक है. जिस नगरमें हम जाया करेंगी, वहाँके पुस्तकालयमेंसे इस पुस्तकको खोजकर दोचार घडी पढलिया करेंगी. यह सुनकर हमने कहा कि, यह उपाय आपने बहुत उत्तम सोचा है. परन्तु हम और एक उपाय आपको बतलाते हैं. वह यह है कि, बंबईमें पंडित R.P.AC..Gunratnasuri M.S... Jun Gun Aaradhak Trust