________________ स्त्रीचरित्र राजाके राज्यमें कुप्रबन्ध, और नाश होनेका कारण नृपका आलसी होनाही है. _ . अब इसको इसके पिताके पास लेचलना चाहिये देखें वह क्या सहायता करता है, यह विचार राजा उस - चोरको लेकर आगे चला, उस समय रात्रि अन्धकार- मय होरहीथी, परंतु लाल टैनों की रोशनी कहीं कहीं कुछ - कुछ चमचमारहीथी, जहां तहां कुत्ते बँक रहेथे, और सन्नाटा छारहाथा, राजा अपने कुछ अनुचरोसहित चार - को लिये उसके निर्दिष्ट मार्ग होकर ब्राह्मण देवताके घर - पहुँचा. पहूँचतेही चोरने अपने पिताको पुकारा. उस समय पंडितजी घोर निद्रामें निमम थे, पर कोलाहल चमत्कृत वस्तु है. द्वारपर मनुष्योंका शब्द सुनकर चौंकपडे साथही अपने पुत्रके पुकारकी ध्वनि कानमें पहुँची ब्राह्मणोंमें क्रोधकी पराकाष्ठा किंचित् विशेष पूर्व समयसेही चली आई है. इसमेंभी कुसमयमें जागपडनेके कारण पुकार सुनकर कोधने पंडितजीके हृदयको जाज्वल्यमान कर दिया. बरन् किसी प्रकार बकते RP.AC. Gunratnasuri.M.S.. Jun Gun Aawadhak Trust