________________ भाषाटीकासहित. अपनी शक्तिके अनुसार आत्मरक्षा करनी उचित है.. यह सोच विचारकर मदनमोहन अत्यन्त विनीतभावसे बोला-महाराज ! आपने जो मुझे इस समय अपने वि.चारानुसार चोर जानकर पकडा, सो मैं चोर नहीं हूं, मैं एक सुप्रतिष्ठित ब्राह्मणका पुत्र हूं, यदि इस समय दया करके आप मुझको मेरे पिताकेपास ले चलें तो वे आपको सत्कारपूर्वक धन देकर सन्तुष्ट करेंगे. यह कहकर मदनमोहन चुप होरहा. यद्यपि मदनमोहनने पहले सब विचार मनमेंही करके धीर 2 वचन कहे थे तथापि वे अपने विरुद्ध वचन कोतवालवेषधारी राजाने प्रकाशरूपसे सुन लियेथे, राजा आश्चर्यमें होकर विचार करने लगा, कि यदि यह पार नहीं है, तो इस समय यह मुझको लोभ क्यों दिखा रहा है। क्या राजकर्मचारी ऐसे लालचसे बच सकते हैं। कर तब क्या अनर्थ न्यून होनेकी सम्भावना होस। कता है? यदि मैं इस समय न होता तो अन्य न्यायाधीश - अवश्यही घूस लेकर इसे छोड़ देते. सच कहा है, कि sunraESI Jun Gun Aaradhak Trust